राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी में बच्चों द्वारा तैयार किये गये मॉडल बने आकर्षण का केन्द्र

राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी में बच्चों द्वारा तैयार किये गये मॉडल बने आकर्षण का केन्द्र

प्रदर्शनी का विषय सतत् भविष्य के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी

भोपाल

भोपाल में 52वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी इन दिनों राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान श्यामला हिल्स भोपाल में चल रही है। प्रदर्शनी में 31 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के लगभग 900 विद्यार्थी एवं शिक्षकों ने संयुक्त रूप से मिलकर विज्ञान पर केन्द्रित प्रोजेक्ट और मॉडल प्रस्तुत किये हैं। यह मॉडल प्रदर्शनी में आने वाले बच्चों के बीच आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। इस वर्ष आयोजित राष्ट्रीय प्रदर्शनी का विषय सतत् भविष्य के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी रखा गया है। बच्चों के लिये प्रदर्शनी अवलोकन प्रात: 9:30 से शाम 6:30 बजे तक रहता है।

प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ के कुसुमकसा, बालोद के स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय के छात्रों ने अभिनव प्रोटोटाइप प्रदर्शित किया है। यह प्रोटोटाइप नारियल के रेशे और परलाइट को उगाने के माध्यम के रूप में उपयोग करते हुए एक आधुनिक मृदा-रहित कृषि तकनीक को प्रदर्शित करता है। इसके बारे में छात्रा खुशी विश्वकर्मा और उनकी शिक्षक सु सोनल गुप्ता बताती हैं कि पारंपरिक मृदा की आवश्यकता को इस तकनीक में पौधों को केवल पानी और आवश्यक पोषक तत्वों की सहायता से उगाया जाता है, जिसमें मृदा जनित रोगों को जोखिम काफी हद तक कम हो जाता है। यह विधि स्वच्छ, अधिक कुशल खेती और स्वास्थ्य वर्धक फसलों के लिये उपर्युक्त है। इस प्रणाली का प्रमुख लाभ यह है कि इसमें पौधों को ऊर्ध्वाधर परतों पर उगाया जा सकता है, जिसमें कम भूमि में अधिक खाद उत्पादन संभव होता है, जो सीमित साधन या शहरी क्षेत्रों के लिये आदर्श समाधान है। इस प्रोटोटाइप में कृषि के साथ मछली पालन जैसी गतिविधियों का विस्तार भी किया जा सकता है।

ये भी पढ़ें :  मध्य प्रदेश को 8वां टाइगर रिजर्व मिला, जानें क्या है नाम, कितना बड़ा होगा बाघों का नया आशियाना?

राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी में हिमाचल प्रदेश के राजकीय उत्कृष्ट माध्यमिक विद्यालय लालपानी छात्रों ने भोजन की गुणवत्ता की जांच के लिये भोजन प्रबंधन प्रणाली युक्त स्मार्ट चम्मच का प्रदर्शन किया है। इस साइंस मॉडल के बारे में विद्यार्थी दिव्यांशु सोनी गौरव और उनकी शिक्षक सु नेहा शर्मा ने बताया कि इस मॉडल के माध्यम से भोजन की ताजगी का परीक्षण किया जा सकता है। तैयार किये गये प्रोटोटाइप में रियल टाइम में डिजिटल स्क्रीन पर परिणाम देखा जा सकता है। खाद्यान्न असुरक्षित पाये जाने पर उपकरण अलर्ट देता है। इस तरह के उपकरण से समाज में स्वस्थ खान-पान की आदतों को बढ़ावा मिलेगा।

ये भी पढ़ें :  ट्रेनों में त्योहार के बाद भीड़-भाड़ बढ़ी, रेलवे ने जन्माष्टमी के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाने का किया ऐलान

महाराष्ट्र राज्य के प्रगट विद्यामंदिर, रामगढ़ मालवन, सिंधु दुर्ग के छात्रों ने दर्भा घास से बनाया स्ट्रा पाइप को प्रस्तुत किया है। उनके द्वारा तैयार किये गये उपकरण से प्लास्टिक स्ट्रा के विकल्प के रूप में घास से तैयार स्ट्रा का उपयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है। पर्यावरण को सबसे ज्यादा खतरा प्लास्टिक से निर्मित वस्तुओं से पहुंच रहा है। प्रदर्शनी में आये बच्चों ने इस उपकरण के संबंध में जिज्ञासापूर्वक जानकारी प्राप्त की। राष्ट्रीय प्रदर्शनी में सौरमंडल के मॉडल को आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इस सौरमंडल में ग्रहों की स्थिति और उनकी विशेषताओं की जानकारी दी गई है। प्रदर्शनी में यह मॉडल भी बच्चों के बीच आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। प्रदर्शनी में प्रतिदिन विभिन्न स्कूलों के करीब 2 हजार बच्चे भ्रमण कर रहे  हैं।

ये भी पढ़ें :  महाकाल की नगरी अब उभर रही है ग्रीन एनर्जी हब के रूप में : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

 

Share

क्लिक करके इन्हें भी पढ़ें

Leave a Comment